सुजस फरवरी 2013
v औद्योगिक विकास: नीतिगत निर्णय
- 10 करोड़ रूपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों हेतु राज्य के सभी जिलों में 1 जून, 2011 से लागू।
- ·1 दिसम्बर, 2011 से उक्त अधिनियम एवं नियम के समस्त प्रावधान 1 करोड़ रूपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों हेतु सभी जिलों में लागु किए जा चुके है।
- जोधपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी
- जोधपुर में फुटवियर डिजायन एवं डवलपमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना
- कोटा डोरिया वस्त्रों के उत्पादन में गति लाने एवं बाजार मांग की पूर्ति के लिए वर्तमान में प्रयुक्त किए जा रहे प्रिन्ट लूम्स के स्थान पर उन्नत लूम पर बुनाई।
- जयपुर की ब्ल्यू पॉटरी का विकास
- सांगानेर ब्लॉक प्रिंटिंग का अंकटाड एवं राजरूथान चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सहयोग से भौगोलिक उपदर्शन में रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर लिया गया है।
- भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र में 610 एकड़ भूमि में 2,000 करोड़ रूपये की लागत से होण्डा कार परियोजना स्थापित की।
- होण्डा मोटर साइकिल की नई इकाई टपूकड़ा (अलवर)
- महेन्द्रा ग्रुप रीको के साथ मिलकर जयपुर में विशेष आर्थिक जोन की स्थापना कर रहा है जिसमें 10 हजार करोड़ रूपये का निवेश अपेक्षित हैं।
- 155 हेक्टेयर में आई.टी. व आई.टी.ई.एस. जोन में विभिन्न इकाइयों के लिए भूमि आवंटित की जा रही है।
v औद्योगिक विकास का स्वर्णिम सफर
- 7 सूती वस्त्र, 2 सीमेंट और 2 श्क्कर बनाने के थे।
- सूती वस्त्र उद्योग यहां का सबसे प्राचीन और संगठित उद्योग हैं।
- ·भीलवाड़ा राज्य में सूती वस्त्र उद्योग की राजधानी के रूप में पहचाना जाने लगा है।
- चित्तौड़गढ़ सीमेंट के उद्योग का प्रमुख केन्द्र बन गया है। गोटन (नागौर) में सफेद सीमेंट बनाया जाता है।
- सर्वाधिक औद्योगिक इकाइयां भिवाड़ी में स्थापित की गई हैं।
- चमड़ा उद्योग के लिए मानपुर माचेड़ी (जयपुर) में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया गया है।
- रीको, राजसीको और राजस्थान वित्त निगम ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
- सूती वस्त्र उद्योग
- राज्य की पहली सूती कपड़ा मिल सन् 1889 में ब्यावर में कर्ल डिक्सन एवं सेठ दामोदर दास व्यास ने स्थापित की थी जिसका नाम दी कृष्णा मिल्स लिमिटेड था।
- 1938 ़में मेवाड़ टेक्सटाइल्स मिल्स भीलवाड़ा में एवं 1942 में महाराजा उम्मेद मिल्स लिमिटेड पाली में स्थामित की गई।
v दुनिया के नक्शे पर उभरती वस्त्र नगरी
- कभी अभ्रक नगरी के नाम से देशभर में अपनी पहचान रखने वाला भीलवाड़ा आज सिंथेटिक वस्त्र उद्योग की रंगीन दुनिया का जगमगाता सितारा बन गया है।
- भीलवाड़ा को ‘वस्त्र नगरी’ या ‘मैनचेस्टर ऑफ इण्डिया’ के नाम से भी सम्बोधित किया जाने लगा है।
- कृषि क्षेत्र के बाद वस्त्र उद्योग इकाइयों में ही सर्वाधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है।
- जिले से 2150 करोड़ रूपये का वार्षिक निर्यात विभिन्न् औद्योगिक इकाइयों द्वारा किया जाता है।
- टेक्सटाइल क्षेत्र से 1485 करोड़ रूपये का, मिनरल क्षेत्र से 545 करोड़ रूपये का तथा अन्य विविध क्षेत्र से 120 करोड़ रूपये का वार्षिक निर्यात किया जाता है।
v जालोर का चमकता ग्रेनाइट उद्योग
- आज जालोर को ‘ग्रेनाइट सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है।
v खंडेला का गोटा उद्योग
- इसी नगर से खण्डेलवाल महाजनों और खण्डेलवाल ब्राह्मणों का निकास माना जाता है।
- मुख्य उद्योग हैं गोटा उद्योग
v सरहद पर विकास को पर्यटन ने लगाए पंख
- मरू महोत्सव ने दी पर्यटन को ऊंचाई
- माघ पूर्णिमा पर होने वाले तीन दिवसीय मरू महोत्सव के विभिन्न आयोजन बेमिसाल रहे है।
- खनन से खुशहाली
- इनमें मार्बल के 27, ग्रेनाइट के 19, लाइम स्टोन (लोरिंग) के 147, मैसनरी स्टोन के 29 तथा प्रधान खनिज के रूप में जिप्सम व सिलिसियस अर्थ का एक-एक पट्टा स्वीकृत हैं।
v ई-शासन में उत्कृष्ट कार्य उभरी प्रदेश की छवि
- 11-12 फरवरी, 2013 को आयोजित राष्ट्रीय ई-शासन सम्मेलन में भी प्रदेश में ई-शासन के क्षेत्र में किए गए।
- बजट में तीन प्रतिशत राशि का प्रावधान सूचना एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों के लिए किया।
- 1100 करोड़ रूपये की लागत से 248 पंचायत समितियों एवं 9177 ग्राम पंचायतों में भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र स्थापित किए जा रहे है।
- सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में खण्ड स्तर तक वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के लिए राज स्वान नेटवर्क (एस.डब्ल्यू.ए.एन.) का शुभारम्भ किया तथा एन.ई.जी.पी. पोर्टल का लोकार्पण किया।
- राष्ट्रीय पुरस्कार वितरित किए
- सर्वोत्तम सरकारी पोर्टल श्रेणी का पुरस्कार राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को मिला।
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v राजस्थान में बायोडीजल की सम्भावना
- रतनजोत अर्थात जैट्रोफा के बीज बायोडीजल उत्पादन के लिए उत्तम हैं।
- भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़ एवं सिरोही जिलों में रतनजोत की फसल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भूमि हैं।
v उदयपुर जिला राजस्थान में सर्वाधिक रतनजोत उत्पादन वाया जिला है।
- जैट्रोफा या रतनजोत का प्रयोग कृषक के लिए फायदेमंद रहता है क्योंकि इनके बीजों से चालीस प्रतिशत तक तेल प्राप्त कर सकते हैं।
v तेरहताली नृत्य की मोहक प्रस्तुति
- माताजी, पाबूजी, रामदेवजी आदि मुख्य रूप से जाने जाते हैं।
- रामदेव जी के भोपे कामड़ होते हैं।
- कामड़ महिलाएं तेरहताली नृत्य क प्रदर्शन करती हैं।
- कामड़ महिलाओं द्वारा तेरहताली नृत्य तेरह मंजीरों की सहायता से किया जाता है।
- नौ मंजीरे दांये पांव पर बांधे जाते हैं।
- पोकरण क्षेत्र के रूणीचा गांव में बाबा रामदेव का सबसे बड़ा मन्दिर है।
- यहां भाद्रपद और माघ शुक्ला दशमी के दिन बड़ा मेला लगता है।
v जयपुर की जगमग ज्वैलरी
- गुलाबी नगर जयपुर न केवल यहां के हस्तशिल्प के लिए अपितु रत्न नगरी के रूप में भी विख्यात हैं।
- कुंदन एवं मीना जडि़त आभूषणों को कलात्मक रूवरूप प्रदान कर उन्हें आकर्षक बनाया गया।
- कुंदन एवं मीनाकारी से जयपुर के कारीगरों को रोजगार के अवसर मिले।
- दीनदयाल, मुन्नालाल मीनाकार तथा सरदार कुदरत सिंह के नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं।